यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 15

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यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 15 - ॐ वेदों का सर्वोच्य मन्त्र है 

वायुः अनिलम् अमृतम् अथ इदम् भस्मान्तम् शरीरम् ॥ ओ३म् क्रतो स्मर क्लिबे स्मर कृतम् स्मर ॥१५ ॥

वेदों को बोलने वाला कह रहा है कि ओम् (ॐ) मन्त्र का समरण काम करते-करते कर, विशेष कसक के साथ समरण कर, मानव जीवन का मूल कर्तव्य समझ कर समरण कर।

श्वांस-उश्वांस स्मरण करके शरीर के अंत के बाद यानि मृत्यु के पश्चात् ओम् जाप से होने वाला (अमृतम्) अमरत्व यानि ब्रह्म लोक प्राप्त होगा।

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