यजुर्वेद अध्याय 40 मन्त्र 10

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यजुर्वेद अध्याय 40 मन् 10 - पूर्ण ब्रह्म के बारे में पूर्ण ज्ञान तत्वदर्शी संत ही बता सकता है

अन्यदेवाः सम्भवात् अन्यत् आहुः असम्भवात्।
इति शुश्रुम धीरणाम् ये नः तत् विचचक्षिरे ॥१०॥

वेदों को बोलने वाला ब्रह् कह रहा है कि उस पूर्ण ब्रह्म को कोई तो (सम्भवात्) जन्म लेकर प्रकट होने वाला अर्थात् आकार में (आहुः) कहता है तथा कोई (असम्भवात्) जन्म न लेने वाला अर्थात् व निराकार (आहुः) कहते हैं। परन्तु इसका वास्तविक ज्ञान तो (धीराणाम्) पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी संतजन (विचचक्षिरे) पूर्ण निर्णायक भिन्न भिन्न बताते हैं (शुश्रुम्) उसको ध्यानपूर्वक सुनो।

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