उषिक्। असी। कविः। अङ्घारिः। असी। बम्भारिः। अवस्यूः। असी। दुवस्वान्। शुन्ध्यूः। असी। मार्जालीयः। सम्राडिति सम्राट्। असी। कृशानुः। परिषद्यः। परिषद्य इति परिसद्यः। असी। पवमानः। नभः। असी। प्रतक्वेति प्रतक्वा। मृष्टः। असी। हव्यसूदन इति हव्यसूदनः। ऋतधामेत्यृतधामा। असी। स्वर्ज्योतिरीति स्वःज्योतिः।
उशिगसी = (सम्पूर्ण शांति दायक) कविरंघारिसि = (कविर्) कबिर परमेश्वर (अंघ) पाप का (अरि) शत्रु (असि) है अर्थात् पाप विनाशक कबीर है। बम्भारिसि = (बम्भारि) बन्धन का शत्रु अर्थात् बन्दी छोड़ कबीर परमेश्वर (असि) है।
यानी कबीर परमात्मा पापों का शत्रु अर्थात पाप नाशक और बंधनों के शत्रु हैं अर्थात जन्म-मृत्यु के बंधन से जीव को मुक्त कर सतलोक की प्राप्ति कराते हैं, जहां जाने के पश्चात जीव को परम शांति की प्राप्ति होती है।