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ऋग्वेद मण्डल नं. 9 सूक्त 1 मंत्र 9

Rigveda / ऋग्वेद मण्डल नं. 9 सूक्त 1 मंत्र 9

ऋग्वेद 9.1.9 - कुंवारी गायें शिशु रूप परमेश्वर को पोषण देती हैं

अभि इमम् अघ्न्याः उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे ॥

  • अभि – की ओर / के पास
  • इमम् – इस (शिशु)
  • अघ्न्याः – कामधेनु बछियाएं 
  • उत  – भी / और
  • श्रीणन्ति – पोषण करती हैं / सजाती हैं / प्रदान करती हैं
  • धेनवः – गायें
  • शिशुम् – शिशु / बालक
  • सोमम् – सोम (यहाँ परमेश्वर का सूचक)
  • इन्द्राय – इंद्र के लिए (यहाँ 'परमेश्वर' का सूचक)
  • पातवे – पीने के लिए

इस मंत्र में कहा कि परमेश्वर जब शिशु रूप में पृथ्वी पर प्रकट होता है, उस समय उनकी परवरिश यानि बालक रूप में पोषण कंवारी गायों द्वारा होता है। बच्छिया (1 वर्ष की आयु की गाय की बच्ची) परमेश्वर जी के आशीर्वाद से बैल से गर्भ धारण किए बिना ही दूध देती है। उस दूध को बालक रूप लीलाधारी परमेश्वर पीता है।