अभि इमम् अघ्न्याः उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम् सोमम् इन्द्राय पातवे ॥
इस मंत्र में कहा कि परमेश्वर जब शिशु रूप में पृथ्वी पर प्रकट होता है, उस समय उनकी परवरिश यानि बालक रूप में पोषण कंवारी गायों द्वारा होता है। बच्छिया (1 वर्ष की आयु की गाय की बच्ची) परमेश्वर जी के आशीर्वाद से बैल से गर्भ धारण किए बिना ही दूध देती है। उस दूध को बालक रूप लीलाधारी परमेश्वर पीता है।